सोमवार, 28 मार्च 2011

विकास है .....

बिकते खेत
मिटेते गाँव
उगती इमारते
फलते शहर

विकास है .....

मिटती लीक
बढती सड़क
मरते मजदुर
मजेमें हजुर

विकास है .....

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009

याद आई

आज उनकी याद आई
आंसू भर आए आंखों में
फिर सोच में पड़ गया मैं
हमें भी याद करेंगी संतानें हमारी
आज हम कुछ ऐसा कर रहे हैं
जिससे कायम रहेगी आज़ादी हमारी।
आज तो देश का यह हाल है
ख्याल नहीं किसी को आज़ादी का
आज हम एक ऐसे चोर हैं
जो लूटते हैं अपने ही घर को
आज अपना हाल देख
आंसू भर आए आंखों में
क्षमा चाहता हूं उनसे
जिन्होंने हमे आज़ादी दी।
क्षमा कर सकते हैं मुझको वो
क्षमा कर नहीं सकता मैं खुद को
आज़ादी के नशे में इतना खो गया था मैं
याद नहीं रही आज़ादी की परिभाशा मुझको।